
नवलपुर (नवलपरासी), २ माघ: सामाजिक सञ्जालक सदुपयोगसँ अपन विकाश सम्भव रहल तकर जीवैत उदाहरण छैथ एहि ठामँक स्थानीय तहक जनप्रतिनिधि। नवलपरासी (बर्दघाट–सुस्तापूर्व)क मध्यविन्दु–३ के वाडध्यक्ष मान बहादुर महतो यूट्यूबक वीडियोसँ व्यवसायिक च्याउ खेती शुरू क नीक उत्पादन केने छैथ। समाजमे सामाजिक सञ्जालक दुरुपयोगक कारण विभिन्न विकृति आ साइबर अपराध भ रहल समयमे, ओ यूट्यूबमे उपलब्ध कृषि सम्बन्धी भिडियोसँ च्याउ खेतीक ज्ञान हासिल क अपन व्यवसाय शुरू केने छैथ। “हम च्याउ खेतीक कोनो औपचारिक प्रशिक्षण नै लेने छी,” ओ कहलैन, “यूट्यूबपर उपलब्ध भिडियोसँ च्याउ खेतीक बारेमे बहुत किछु बुझलाैँ आ आइ हम स्वयं व्यवसायिक रूपसँ खेती क रहल छियै, च्याउक उत्पादन बहुत नीक भ रहल छै।”
वाडध्यक्ष महतो यूट्यूबपर देखल भिडियोसँ प्रेरणा पाइब एमडी कृषि तथा पशुपक्षी फार्म दर्ता क अपन घरमे व्यवसायिक च्याउ खेती शुरू केने छैथ। वाडध्यक्ष महतो ७२० वर्गफुटमे संरचना बना क डल्ले च्याउ आ ४५० वर्गफुटमे अलग संरचना बनाक पाते च्याउक व्यवसायिक खेती क रहल छैथ। च्याउ खेती लेल बनल ई दुनू संरचना बाहेक ओ कुल रु २ लाख ७५ हजार लगानी केने छैथ आ अपन खेतीसँ सन्तुष्ट छैथ। महतोक च्याउ घरेसँ बिक्री भ जाइत अइछ। अधिक च्याउ चोरमारा, अरुणखोला, डण्डा, कावासोती आ नारायणगढक तरकारी बाजारधैर पहुँचाएल जाइत छै। “च्याउ उत्पादन नीक भेलोपर मुदा बजारक किछु समस्या अइछ। उत्पादन करबाक क्षमता किसानक हाथमे अइछ, मुदा बजारीकरण व्यापारीक हाथमे रहैत अइछ,” ओ कहलैन, “एहि क्षेत्रमे बजारीकरणक समस्या अइछ। आइ हमरो उत्पादन कएल च्याउ लगमे बिक्री करबाक अवसर नै भेटल।” गामक उपभोक्ता च्याउ खोजैत हुनक दुआरपर अबैत छैथ, मुदा बजारधैर स्वयं ढुवानी करबाक मजबूरी छै, से ओ बतौलैन।
च्याउ समय पर नै काटलाक बाद बिगैड़ जाइ छै, ताहि कारण बिक्री नै भेल ताजा च्याउ सुखा क धूल बनाक रखबाक योजना ओ कहलैन। “राज्य आब किसानसभकेँ उत्पादन क्षेत्रसँ जोड़बाक प्रयास क रहल अइछ। ताहि हिसाबे नागरिककेँ प्रेरित करब सहज होइ, ताहि हेतु हम ई खेती शुरू कएलाैँ,” ओ कहलैन। “हमरो कृषि उत्पादन करबाक अनुभव अइछ, ताहि आधारपर हम दोसरो किसानकेँ प्रोत्साहित क सकैत छी। उत्पादनसँ जुड़ल रहि, उत्पादन बढ़ाओल जाए, त ओकर बिक्री सेहो तेज भ आर्थिक उन्नति सम्भव छै,” ओ जोड़लैन। राज्यक कृषि अनुदान उपलब्ध रहलाक बादो ओ कहलैथ जे ओ एखनधैर कोनो अनुदान हुनका नै लेने छी। “यदि हम जनप्रतिनिधि भ क अनुदान लैत छी, तँ लोक कहत जे अपन फायदा लेल ओ अनुदान लेने छैथ। ताहिसँ नीक जे हम बिना अनुदान मेहनतसँ काज करि,” ओ कहलैन। “बाकी किसानसभ जखन पालिकासँ अनुदान लेल आवेदन करैत छैथ आ ओहि अनुदानसँ कृषि काज करैत छैथ, त ओहि प्रकारक प्रयास दीर्घकालिन आ सफल होइत छै।” दिनभैर वाडके लोकके काजमे समर्पित रहलाक बाद फुर्सदक समय च्याउ खेतीमे लगबैत छैथ। ओ अपन परिवारक सहयोगके प्रशंसा करैत कहलैन जे व्यवसायिक रूपसँ च्याउ खेती करबाक बाद तीन बेर च्याउ काटल जा सकैत अइछ, आ ताहिसँ नीक नाफा कमेबाक सम्भावना होइ छै। सब किसान एकेरूपमे खेती शुरू करबाक कारण उत्पादन अधिक आ मांग कम होइत छै, ताहि कारण राज्यकेँ निर्यात योग्य उत्पादन करबाक लेल सहयोग करबाक चाही, ओ कहलैन।
“जहियाधैर हमरासभ निर्यातके स्थिति विकसित नै करब, तहियाधैर हमरा सबके उत्पादन विश्वबाजारमे प्रतिस्पर्धी नै भ सकत आ किसानकेँ बजारीकरणके समस्या होइत रहत,” ओ बतौलैन। “हमसभ विश्व व्यापार संगठनके सदस्य छी, एहि कारणसँ दुनियाक कोनो कोनके वस्तु एत पहुँचैत छै आ उपभोक्ता सस्ता सामान खरीद करबाक अवसर पाबैत छैथ।” ओ आग्रह केलैन जे यदि राज्य कृषि अनुदान बढ़ाक किसानके उत्पादन लागत घटेबामे मदत करैए, तखन नेपाली उत्पादन अन्य देशक उत्पादनक सङ प्रतिस्पर्धा करबामे योग्य बनत। च्याउ खेतीक विशेषताक चर्चा करैत ओ कहलैन, “च्याउमे कोनो प्रकारक विषादीके जरूरत नै होइत अइछ।
एहि कारण उत्पादक आ उपभोक्ता दुनूक स्वास्थ्य लाभ होइत अइछ।” सिजन अनुसार, पाते च्याउक बिक्री दर १३० टका सँ २०० टका प्रति किलो, आ डल्ले च्याउ ३५० टका सँ ६०० टका प्रति किलोमे होइत अइछ। प्रविधिक उपयोग करैत च्याउ खेतीक विस्तार करबाक योजनापर काज क रहल छैथ, से ओ जानकारी देलैन।
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