डडेल्धुरा,
अमरगढी नगरपालिका-२ मौरडाक खेमराज जोशी छ वर्ष पहिने दू लाख ५० हजार टका लगानी क व्यावसायिक च्याउखेती शुरू कएने छलैथ। ओ वार्षिक च्याउ बिक्रीसँ वार्षिक २० सँ २५ लाख टका तक आम्दानी क रहल छैथ। देशमे रोजगार नै भेटलापर जतबा युवा विदेश जाएत छैथ, ओत जोशी वैदेशिक रोजगार छोइड़ कृषि क्षेत्रमे भविष्य खोइज रहल छैथ। विदेशमे जेना पसिना बहाएल जाइत अइछ, मुदा ओ सीमित समयक लेल होइत अइछ, एहन विचारसँ ओ स्वदेशमे स्वरोजगारक लेल कृषि पेसामे आकर्षित भेलाह, से ओ कहलैथ। जोशी अहि समय ३३ वर्षक छैथ। कक्षा १२ तक अध्ययन क विदेश जेबाक योजना बना क काठमाण्डू गेल छलैथ।
काठमाण्डूमे विभिन्न कृषि फार्मक अवलोकन क च्याउखेती करबाक योजना बना क ओ गामँ वापस एलैथ ।
अहि समयमे परिवारक समस्त खर्च कटा क वार्षिक आठ लाख टका तक बचत होइत छै, ओ कहलैन। दू रोपनी भूमि भाड़ा पर ल च्याउक बीउ उत्पादन आ खेती क रहल कृषक जोशी कहलैथ जे छ वर्ष पहिले शुरू कएल गेल च्याउखेतीमे ओ आब जिलाक नमूना कृषक बइन गेल छी। च्याउखेतीमे भविष्यके नीक देख क जोशी ई पेसा अपना लेल चुनलैन। ओ कहलैथ, “पहिने च्याउक बीउ लेल काठमाण्डू जाए के बाध्यता छल, मुदा आब अपन फार्ममे उत्पादन करैत छी।” ओ कहलैथ, “अधिकांश मित्र रोजगारक लेल भारत आ अन्य तेसर देशमे पलायन भ गेल छैथ, मुदा हम कृषि पेसामे लागल छी।” उत्पादित च्याउ स्थानीय बाजारमे बिक रहल अइछ आ बजारीकरणक क समस्या नै अइछ, से जोशी कहलैथ। ओ तीन सय किलो तक च्याउ एक बेरमे बेचैत छैथ। कम लगानीमे नीक आम्दानी होइत अइछ, ओ कहलैथ।
जोशी एहि बातक उल्लेख क कहलैथ जे जीविकोपार्जन लेल युवा विदेश जाएसँ नीक स्वदेशमे स्वरोजगार बनाएल जा सकैत अइछ। “डडेल्धुराक च्याउ सुदूरपश्चिमक पहाड़ी जिलाक सङे तराइ क्षेत्रमे सेहो पठाओल जाइत अइछ, वर्षमे तीन बेर च्याउ उत्पादन कएल जा सकैत अइछ, ताहिसँ बहुत लाभ उठाएल जा सकै छै।” च्याउखेतीसँ समस्त खर्च घटाके वार्षिक सात लाख टका तक बचत होइ छै, से जोशी बतौलैन। “विदेशमे जे श्रम कएल जाइ छै, ओइसँ स्वदेशमे दोब्बर आम्दानी कएल जा सकै छै । आब प्रतिकिलो दू सओ टकाक दरसँ च्याउ बेच रहल छी,” जोशी कहलैथ।
फार्ममे अहि समय सात टा जनकेँ रोजगार दैने जोशीक भविष्यमे च्याउखेतीकेँ विस्तार करबाक योजना छैन । जोशी, स्थानीय सरकार आ सरोकारवाला निकायक ध्यान आकर्षित करैत कहलैथ जे युवाके स्वरोजगारक अवसर सृजन करब, हुनक सीप विकसीत करबा लेल प्रशिक्षण आ आर्थिक-प्राविधिक मदद देबाक आवश्यकता अइछ। हुनक विश्वास अइछ जे स्थानीय स्तर पर एकरा आम्दानीक स्रोत बनाएल जा सकत, ताहिसँ युवाके विदेश पलायन दरमे कमी आओत।
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